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ऐतिहासिक फैसला: कैंसर पीड़ित की याचिका पर SC ने बंद कराया मोबाइल टावर

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जी.एन.एस, दि.12
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कैंसर से पीड़ित एक शख्स की याचिका पर मोबाइल टावर बंद कराने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता हरीश चंद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मोबाइल टावर की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से उन्हें कैँसर हुआ।
ग्वालियर के दल बाजार में रहने वाले हरीश चंद तिवारी ने अपने वकील की मदद से सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि बीएमएनएल ने साल 2002 में उनके पड़ोसी की छत पर जो मोबाइल टावर लगाया था वह अवैध है। उन्होंने कहा कि उससे 24 घंटे निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन का शिकार बना रहा है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, तिवारी ने याचिका में कहा कि जहां वह काम करते है वहां से पड़ोसी का घर 50 मीटर की दूरी पर ही है। इसकी वजह से वह लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहने की वजह से उन्हें हॉजकिन्स लिम्फोमा (कैंसर) हो गया है। जस्टिस गोगोई और नवीन सिन्हा की पीठ ने इस मामले में सात दिनों के अंदर बीएसएनएल को टावर बंद करने आदेश दिया है।
टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने अक्टूबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया जिसमें कहा कि देश में करीब 12 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन टावर हैं। इसमें से करीब 3.30 लाख मोबाइल टावरों को डिपार्टमेंट ने परीक्षण किया है। इस हलफनामे के अनुसार, सिर्फ 212 मोबाइल टावरों में रेडिएशन तय सीमा से अधिक पाया गया। इन टावरों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। डिपार्टमेंट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस जुर्माना राशि के रूप में अब तक डिपार्टमेंट ने सेल्युलर ऑपरेटर्स से 10 करोड़ रुपये वसूल चुका है।

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